सिंघू बॉर्डर पर किसान मजदूर संघर्ष समिति के नेता सरवन सिंह पंढेर ने आज कहा कि ”सरकार ने कृषि कानूनों पर अपना रुख साफ कर दिया है कि वह उन्हें वापस नहीं लेगी. सरकार ने पत्र जारी किया है जिसमें कहा है कि यदि किसान कानूनों में संशोधन चाहते हैं तो वे बातचीत के लिए समय और तारीख तय करके बताएं. यह सरकार का आगे बढ़ने वाला एक कदम नहीं है, बल्कि किसानों को बरगलाए जाने का एक तरीका है. एक सामान्य व्यक्ति यही सोचेगा कि किसान जिद्दी हैं लेकिन तथ्य यह है कि हम कृषि कानूनों में संशोधन नहीं चाहते हैं, हम चाहते हैं कि वे पूरी तरह से रद्द किए जाएं.” दूसरी ओर संयुक्त किसान मोर्चे ने आंदोलन तेज करने और बीजेपी और एनडीए के नेताओं का घेराव करने की चेतावनी दी है.
भारतीय किसान यूनियन और किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (पंजाब की 30 जथेबंदियों से अलग संगठन ) की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि ”केंद्र सरकार द्वारा जो चिट्ठी भेजी गई उस पर चर्चा हुई है लेकिन जो चिट्ठी भेजी गई उसमें सरकार का कदम किसान संगठनों को चक्रव्यूह में लेने का एक कदम है. हम कृषि बिल रदद् करने की मांग कर रहे है जबकी चिट्ठी में सिर्फ संशोधन की बात है.”
उन्होंने कहा कि ”बातचीत केंद्र सरकार से इसी बात पर टूटी थी कि हमें संशोधन मंजूर नहीं है. यानी बात जहां टूटी थी वहीं पर है. केंद्र छल वाली नीति अपना रहा है. चिट्ठी में कुछ भी ऐसा नहीं है जिस पर बातचीत हो. इस चिट्ठी में ये भी ज़िक्र नहीं है कि किस से मीटिंग करवाएंगे. गृह मंत्री से मीटिंग करने की क्या उपयोगिता है? हम फरियादी हैं जो एक महीने से आपके दरवाज़े पर बैठे हैं.”
जोगिंदर उग्राह ने कहा कि ”ये अभी हमारी दो जथेबंदियों की राय है कि चिट्ठी को लेकर, मीटिंग में जाना है या नहीं, ये तय करेंगे.”