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नए H-1B वीजा नियम के खिलाफ कोर्ट पहुंचे 17 संगठन, कहा- इकोनॉमिक रिकवरी में रुकावट बनेगा

अमेरिका में H-1B वीजा (US H-1B Visa) से जुड़े वेतन के नए नियमों के खिलाफ यहां पर शैक्षणिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को मिलाकर कुल 17 लोगों और संस्थाओं ने कानूनी रास्ता अपनाया है. इन सभी ने मिलकर वेतन पर हाल ही में बनाए गए आखिरी अंतरिम नियम को लेकर US डिपार्टमेंट ऑफ लेबर के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट ऑफ कोलंबिया के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में केस दायर किया है. इसमें आरोप लगाए गए हैं कि यह बिना योजना और अनियमित तरीके से जारी किया गया नियम, नियम बनाने की प्रक्रियाओं का पालन नहीं करता है और मनमाना, और तर्कहीन है.

बता दें कि H-1B वीजा एक गैर-प्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियां आईटी क्षेत्र और दूसरे कुशल क्षेत्रों में कामगारों को अमेरिका लाने के लिए देती हैं. इसी प्रोग्राम के तहत इनमें भारत से नौकरी के लिए अमेरिका जाने वाले आईटी प्रोफशनल्स की बड़ी संख्या है. प्रोग्राम के आलोचकों का कहना है कि इससे कुछ प्रोफेशनल क्षेत्रों में सैलरी का रेंज कम हो गया है.

इस महीने की शुरुआत में लेबर डिपार्टमेंट ने H-1B धारकों और दूसरे विदेशी लेबर प्रोग्राम के लिए उचित वेतन स्तर तय करने के लिए नया नियम जारी किया था, जिसपर व्हाइट हाउस ने कहा था कि यह  H-1B धारकों की गुणवत्ता में सुधार लाएगा और अमेरिका में वैसी ही नौकरियां कर रहे दूसरे कर्मचारियों के लिए भी बेहतर वेतन सुनिश्चित करेगा.

व्हाइट हाउस ने कहा कि इस नियम के तहत अपने कर्मचारियों को सस्ते विदेशी कर्मचारी से रिप्लेस करने की कंपनियों की क्षमता सीमित हो जाएगी और यह सुनिश्चित करेगा कि कम वेतन पर काम करने वाले कर्मचारियों के चलते अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन पर प्रभाव न पड़े.

इनका कहना है कि स्टडी दिखाती हैं कि H-1B वीजा धारक अमेरिका में नौकरियां पैदा करते हैं. नए नियम से न अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, न कर्मचारियों को. American Immigration Lawyers Association के डायरेक्टर ऑफ फेडरल लिटिगेशन जेस ब्लेस ने कहा कि इस नए नियम से इकोनॉमी के हर कोने को तुरंत और गैर-जरूरी नुकसान हुआ है और इससे शैक्षणिक संस्थान, नॉन-प्रॉफिट संस्थाएं, अस्पताल, स्टार्ट-अप और छोटे व्यवसाय भी प्रभावित हुए हैं.
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